Saturday, 15 December 2012
सांवरा हमारा
Thursday, 8 November 2012
:तुम्हारे लिए" ......
मेरी कविता
जो थी अधूरी
,बिखरी -बिखरी सी
,मिली उसे सम्पूर्णता
एक तुम्हारे आ जाने से ,
ऐसे
जैसे -बिन मौसम के
मधुबन में बहार हो
कोई
मरू -पृष्ठ पर सावन
की फुहार हो कोई
बिना तुम्हारे
मेरा जीवन
जैसे भटकता हो
वन में हिरन,
जैसे अँधेरे में
लिपटी किरण
बिन साजन- सजनी
का कंगन
निः शब्द -निष्प्राण
हो तन-मन
ठहरती हैं तुम्ही प
र नज़र .
.अपलक,,,,
जैसे देखे राधा को
राधा का श्याम ,
जैसे चंदा को देखे
चकोर ,,,,,,,,
अविराम............
[ वर्षा शुक्ला ]
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